श्री सरस्वती चालीसा | saraswati chalisa PDF


यदि आप “सरस्वती चालीसा” (saraswati chalisa pdf) को पीडीएफ़ फ़ॉर्मेट में हिंदी में डाउनलोड करना चाहते हैं, तो आप हमारी वेबसाइट से श्री सरस्वती चालीसा हिंदी में की पीडीएफ (saraswati chalisa in hindi pdf) डाउनलोड कर सकते हैं। ये पीडीएफ़ आपको सरस्वती चालीसा के पूरे पाठ के साथ हिंदी भाषा में प्रदान करेंगे। इसे आप डाउनलोड करके पढ़ सकते हैं और पूजा के समय या अन्य अवसरों पर इसका प्रयोग कर सकते हैं।

नीचे दिए गए डाउनलोड बटन पर क्लिक करके आप श्री सरस्वती चालीसा का पाठ डाउनलोड कर सकते हैं।

श्री सरस्वती चालीसा क्या है?

सरस्वती चालीसा एक प्रमुख हिंदू धार्मिक प्रार्थना है, जो देवी सरस्वती की महिमा और आशीर्वाद को स्तुति करती है। रोजाना श्री सरस्वती चालीसा (shri saraswati chalisa pdf) का पाठ करने से मां सरस्वती अपने भक्तों पर प्रसन्न होती हैं और उन्हें ज्ञान व बुद्धि देती हैं। चालीसा चौपाई रूप में है, जिसमें 40 पंक्तियाँ होती हैं। इस पाठ के माध्यम से भक्त देवी सरस्वती से ज्ञान, बुद्धि, कला, संगीत, विद्या और विद्यार्थी जीवन में सफलता की प्रार्थना करते हैं।

विशेष उपाय

  • पवित्रता और स्नान: सरस्वती चालीसा (saraswati chalisa pdf) पढ़ने से पहले शुद्धता और पवित्रता का ध्यान रखें। स्नान करें और पवित्र वस्त्र पहनें।
  • स्थान एवं अवसर: एक शांत और पवित्र स्थान पर बैठें जहां आप समाधानपूर्ण और निर्मल महसूस करें। विशेष अवसर जैसे बसंत पंचमी, नवरात्रि आदि को श्री सरस्वती चालीसा (saraswati chalisa pdf) का पाठ जरूर करें। ऐसा करने से मां सरस्वती प्रसन्न होती हैं।
  • संगठन: सरस्वती चालीसा (saraswati chalisa pdf) पढ़ने से पहले समय निकालें और चालीसा के पूरे पाठ को सुनिश्चित करें। चालीसा को पढ़ने से पहले श्री सरस्वती चालीसा की पीडीएफ (saraswati chalisa in hindi pdf) अपने पास डाउनलोड रखें ताकि आप ध्यान से और सही उच्चारण के साथ पढ़ सकें।
  • श्रद्धा एवं आदर: मां सरस्वती चालीसा (saraswati chalisa pdf) का पाठ पूरी श्रद्धा और आदर से करें। चालीसा का पाठ करते हुए आपकी निष्ठा सबसे महत्वपूर्ण है।

॥ दोहा ॥

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जनक जननि पद्मरज, निज मस्तक पर धरि ।
बन्दौं मातु सरस्वती, बुद्धि बल दे दातारि ॥

पूर्ण जगत में व्याप्त तव, महिमा अमित अनंतु।
दुष्जनों के पाप को, मातु तु ही अब हन्तु ॥

॥ चालीसा ॥

जय श्री सकल बुद्धि बलरासी ।
जय सर्वज्ञ अमर अविनाशी ॥

जय जय जय वीणाकर धारी ।
करती सदा सुहंस सवारी ॥

रूप चतुर्भुज धारी माता ।
सकल विश्व अन्दर विख्याता ॥

जग में पाप बुद्धि जब होती ।
तब ही धर्म की फीकी ज्योति ॥

तब ही मातु का निज अवतारी ।
पाप हीन करती महतारी ॥

वाल्मीकिजी थे हत्यारा ।
तव प्रसाद जानै संसारा ॥

रामचरित जो रचे बनाई ।
आदि कवि की पदवी पाई ॥

कालिदास जो भये विख्याता ।
तेरी कृपा दृष्टि से माता ॥

तुलसी सूर आदि विद्वाना ।
भये और जो ज्ञानी नाना ॥

तिन्ह न और रहेउ अवलम्बा ।
केव कृपा आपकी अम्बा ॥

करहु कृपा सोइ मातु भवानी ।
दुखित दीन निज दासहि जानी ॥

पुत्र करहिं अपराध बहूता ।
तेहि न धरई चित माता ॥

राखु लाज जननि अब मेरी ।
विनय करउं भांति बहु तेरी ॥

मैं अनाथ तेरी अवलंबा ।
कृपा करउ जय जय जगदंबा ॥

मधुकैटभ जो अति बलवाना ।
बाहुयुद्ध विष्णु से ठाना ॥

समर हजार पाँच में घोरा ।
फिर भी मुख उनसे नहीं मोरा ॥

मातु सहाय कीन्ह तेहि काला ।
बुद्धि विपरीत भई खलहाला ॥

तेहि ते मृत्यु भई खल केरी ।
पुरवहु मातु मनोरथ मेरी ॥

चंड मुण्ड जो थे विख्याता ।
क्षण महु संहारे उन माता ॥

रक्त बीज से समरथ पापी ।
सुरमुनि हदय धरा सब काँपी ॥

काटेउ सिर जिमि कदली खम्बा ।
बारबार बिन वउं जगदंबा ॥

जगप्रसिद्ध जो शुंभनिशुंभा ।
क्षण में बाँधे ताहि तू अम्बा ॥

भरतमातु बुद्धि फेरेऊ जाई ।
रामचन्द्र बनवास कराई ॥

एहिविधि रावण वध तू कीन्हा ।
सुर नरमुनि सबको सुख दीन्हा ॥

को समरथ तव यश गुन गाना ।
निगम अनादि अनंत बखाना ॥

विष्णु रुद्र जस कहिन मारी ।
जिनकी हो तुम रक्षाकारी ॥

रक्त दन्तिका और शताक्षी ।
नाम अपार है दानव भक्षी ॥

दुर्गम काज धरा पर कीन्हा ।
दुर्गा नाम सकल जग लीन्हा ॥

दुर्ग आदि हरनी तू माता ।
कृपा करहु जब जब सुखदाता ॥

नृप कोपित को मारन चाहे ।
कानन में घेरे मृग नाहे ॥

सागर मध्य पोत के भंजे ।
अति तूफान नहिं कोऊ संगे ॥

भूत प्रेत बाधा या दुःख में ।
हो दरिद्र अथवा संकट में ॥

नाम जपे मंगल सब होई ।
संशय इसमें करई न कोई ॥

पुत्रहीन जो आतुर भाई ।
सबै छांड़ि पूजें एहि भाई ॥

करै पाठ नित यह चालीसा ।
होय पुत्र सुन्दर गुण ईशा ॥

धूपादिक नैवेद्य चढ़ावै ।
संकट रहित अवश्य हो जावै ॥

भक्ति मातु की करैं हमेशा ।
निकट न आवै ताहि कलेशा ॥

बंदी पाठ करें सत बारा ।
बंदी पाश दूर हो सारा ॥

रामसागर बाँधि हेतु भवानी ।
कीजै कृपा दास निज जानी ॥

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॥दोहा॥

मातु सूर्य कान्ति तव, अन्धकार मम रूप ।
डूबन से रक्षा करहु, परूँ न मैं भव कूप ॥

बलबुद्धि विद्या देहु मोहि, सुनहु सरस्वती मातु ।
राम सागर अधम को, आश्रय तू ही देदातु ॥

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हम आशा करते हैं कि श्री सरस्वती चालीसा (saraswati chalisa pdf) का पाठ करने से आपके ज्ञान और बुद्धि का विकास मां सरस्वती जरूर करेंगे। हमारा यह मानना है कि श्री सरस्वती चालीसा (saraswati chalisa in hindi pdf) का पाठ रोजाना करने से मां हमारे विवेक एवं ज्ञान को तो बढ़ाती ही हैं इसके साथ ही हमें हर प्रकार की सुख समृद्धि प्रदान करती हैं। हमें आशा है कि आपको हमारा यह प्रयास अच्छा लगा होगा हमारी वेबसाइट पर आने के लिए।धन्यवाद।

आपका दिन शुभ हो।

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