विष्णु चालीसा पीडीएफ (vishnu chalisa pdf) हमें अपनी आध्यात्मिक यात्रा पर एक महत्वपूर्ण साधन प्रदान करती है। विष्णु जी, जिन्हें भगवान के अवतार माना जाता है, हमारे मन को शांति और प्रेम के साथ भर देते हैं। इस पीडीएफ में विष्णु चालीसा का संग्रह है, जो हमें प्रभु की महिमा और उनके अनंत कल्याणकारी गुणों के बारे में याद दिलाती है।
इस पीडीएफ को डाउनलोड करके, हम विष्णु चालीसा (vishnu chalisa pdf) को अपनी रोज़ाना की पूजा एवं पाठ में शामिल कर सकते हैं, जिससे हमारा मन प्रभु की ध्यान में स्थिर रहेगा और हमें उनके संगीत और आनंद का अनुभव होगा। इस ब्लॉग पोस्ट में हम आपको विष्णु चालीसा पीडीएफ के बारे में विस्तृत जानकारी, डाउनलोड लिंक और इसके महत्वपूर्ण फायदे प्रदान करेंगे।
॥श्री विष्णु चालीसा॥
(vishnu chalisa pdf)
॥ दोहा॥
विष्णु सुनिए विनय सेवक की चितलाय ।
कीरत कुछ वर्णन करूं दीजै ज्ञान बताय ।
॥ चौपाई ॥
नमो विष्णु भगवान खरारी।
कष्ट नशावन अखिल बिहारी॥
प्रबल जगत में शक्ति तुम्हारी।
त्रिभुवन फैल रही उजियारी॥
सुन्दर रूप मनोहर सूरत।
सरल स्वभाव मोहनी मूरत॥
तन पर पीतांबर अति सोहत।
बैजन्ती माला मन मोहत॥
शंख चक्र कर गदा बिराजे।
देखत दैत्य असुर दल भाजे॥
सत्य धर्म मद लोभ न गाजे।
काम क्रोध मद लोभ न छाजे ॥
संतभक्त सज्जन मनरंजन।
दनुज असुर दुष्टन दल गंजन॥
सुख उपजाय कष्ट सब भंजन।
दोष मिटाय करत जन सज्जन॥
पाप काट भव सिंधु उतारण।
कष्ट नाशकर भक्त उबारण॥
करत अनेक रूप प्रभु धारण ।
केवल आप भक्ति के कारण॥
धरणि धेनु बन तुमहिं पुकारा।
तब तुम रूप राम का धारा॥
भार उतार असुर दल मारा।
रावण आदिक को संहारा॥
आप वराह रूप बनाया।
हरण्याक्ष को मार गिराया॥
धर मत्स्य तन सिंधु बनाया।
चौदह रतनन को निकलाया॥
अमिलख असुरन द्वंद मचाया।
रूप मोहनी आप दिखाया॥
देवन को अमृत पान कराया ।
असुरन को छवि से बहलाया॥
कूर्म रूप धर सिंधु मझाया।
मंद्राचल गिरि तुरत उठाया॥
शंकर का तुम फन्द छुड़ाया।
भस्मासुर को रूप दिखाया॥
वेदन को जब असुर डुबाया।
कर प्रबंध उन्हें ढूंढवाया॥
मोहित बनकर खलहि नचाया।
उसही कर से भस्म कराया॥
असुर जलंधर अति बलदाई।
शंकर से उन कीन्ह लडाई॥
हार पार शिव सकल बनाई।
कीन सती से छल खल जाई॥
सुमिरन कीन तुम्हें शिवरानी।
बतलाई सब विपत कहानी॥
तब तुम बने मुनीश्वर ज्ञानी।
वृन्दा की सब सुरति भुलानी॥
देखत तीन दनुज शैतानी।
वृन्दा आय तुम्हें लपटानी॥
हो स्पर्श धर्म क्षति मानी।
हना असुर उर शिव शैतानी॥
तुमने ध्रुव प्रहलाद उबारे।
हिरणाकुश आदिक खल मारे॥
गणिका और अजामिल तारे।
बहुत भक्त भव सिन्धु उतारे॥
हरहु सकल संताप हमारे।
कृपा करहु हरि सिरजन हारे॥
देखहुं मैं निज दरश तुम्हारे।
दीन बन्धु भक्तन हितकारे॥
चहत आपका सेवक दर्शन।
करहु दया अपनी मधुसूदन॥
जानूं नहीं योग्य जप पूजन।
होय यज्ञ स्तुति अनुमोदन॥
शीलदया सन्तोष सुलक्षण।
विदित नहीं व्रतबोध विलक्षण॥
करहुं आपका किस विधि पूजन।
कुमति विलोक होत दुख भीषण॥
करहुं प्रणाम कौन विधिसुमिरण।
कौन भांति मैं करहु समर्पण॥
सुर मुनि करत सदा सेवकाई।
हर्षित रहत परम गति पाई॥
दीन दुखिन पर सदा सहाई।
निज जन जान लेव अपनाई॥
पाप दोष संताप नशाओ।
भव-बंधन से मुक्त कराओ॥
सुख संपत्ति दे सुख उपजाओ।
निज चरनन का दास बनाओ॥
निगम सदा ये विनय सुनावै।
पढ़ै सुनै सो जन सुख पावै॥
॥ जय-घोष ॥
श्री विष्णु भगवान की जय।
श्री लक्ष्मी नारायण भगवान की जय।
समापन:
इस ब्लॉग पोस्ट में हमने विष्णु चालीसा की महत्वपूर्णता का अध्ययन किया, इसके आध्यात्मिक शक्ति को समझा, और आपको हिंदी में विष्णु चालीसा पीडीएफ डाउनलोड करने का मौका प्रदान किया। हम आशा करते हैं कि निरंतर श्री विष्णु चालीसा जी का पाठ करने से भगवान विष्णु आप पर प्रसन्न होंगे, और आपकी हर मनोकामनाएं पूरी करेंगे।
हमारी वेबसाइट पर विजिट करने के लिए आपका धन्यवाद!
आपका दिन शुभ हो!